1st Form of Navdurga: नवरात्रों की शुरुआत माँ दुर्गा के प्रथम रूप "माँ शैलपुत्री" की उपासना के साथ होतीहै। शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी माँ दुर्गा के इस रूप का नाम शैलपुत्री है।
कलश स्थापना मुहूर्त: कलश स्थापना के 2 अप्रैल प्रातः 5:42 से 9:56 तक और 11:38 से 12:29 दोपहर तक अभिजीत मुहूर्त है।
मां शैलपुत्री का स्वरूप: पार्वती और हेमवती इन्हीं के नाम हैं। माँ का वाहन वृषभ है और इनके दाएँ हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का फूल है।
माँ शैलपुत्री का मंत्र (Mata Shailputri Mantra): माँ शैलपुत्री की पूजा इस मंत्र के उच्चारण से की जानी चाहिए-
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
वर्ष 2022 में पूजा का दिन (1st Day of Navratri): चैत्र नवरात्र में मां शैलपुत्री जी की पूजा 02 अप्रैल 2022 को की जाएगी।
पूजा में उपयोगी वस्तु: मां भगवती की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु षोडशोपचार पूजन के बाद नियमानुसार प्रतिपदा तिथि को नैवेद्य के रूप में गाय का घृत मां को अर्पित करना चाहिए और फिर वह घृत ब्राह्मण को दे देना चाहिए।
पूजा फल: मान्यता है कि माता शैलपुत्री की भक्तिपूर्वक पूजा करने से मनुष्य कभी रोगी नहीं होता।
जय माता दी
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