गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा,
गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः।
गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही भगवान शिव शंभू हैं। गुरु ही साक्षात् परमब्रह्म हैं। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।
गुरु पूर्णिमा को भारत में बहुत ही श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। उन्होंने मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था और सभी पुराणों की रचना की थी। महर्षि वेदव्यास के योगदान को देखते हुए आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं।
गुरु पूर्णिमा 2021 तिथि
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 23 जुलाई दिन शुक्रवार सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू हो रही है।
यह 24 जुलाई दिन शनिवार को सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक मान्य होगी।
उदया तिथि 24 को प्राप्त है, इसलिए इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई को है।
भारत में गुरु को आदिकाल से ही ईश्वर का दर्जा प्राप्त है। वे हमें ज्ञान रूपी प्रकाश से आलोकित करते हैं, हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करते हैं। अच्छे और बुरे में फर्क करना बताने हैं, जीवन के मूलभूत सिद्धातों से परिचित कराते हैं। कबीर दास ने कहा है गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय।। अर्थात गुरु और गोबिंद अर्थात् भगवान दोनों ही साथ में खड़े हों तो किसे पहले प्रणाम करना चाहिए। इस स्थिति में गुरु को सबसे पहले प्रणाम करना उत्तम है क्योंकि गुरु कृपा से ही गोबिंद के दर्शन भी संभव हुआ है। गुरु जीवन के मार्गदर्शक होते हैं, इसलिए उनको ईश्वर का दर्जा प्राप्त है।
मंत्र
गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये
शिव ही गुरु है गुरु ही शिव है।
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